CTET/TET Child Pedagogy(बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र) Complete Notes in Hindi
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अभिप्रेरणा और अधिगम -
अभिप्रेरणा -
(Motivation)
रिली एवं लेविस (Reilly and Lewis) के अनुसार, अभिप्रेरणा एक ऐसा बल है जो व्यक्ति के अन्दर उत्पन्न होता है न कि कुछ ऐसी चीज जिसे शिक्षक छात्र में अपनी ओर से पैदा करते हैं।
ब्लेयर, जोंस एवं सिम्प्सन (Blair, Jones & Simpson) के अनुसार, अभिप्रेरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षार्थी की आंतरिक शक्ति वातावरण के विभिन्न लक्ष्य वस्तुओं की ओर निर्देशित होती है।
अभिप्रेरणा का वर्गीकरण
मनोवैज्ञानिकों ने अभिप्रेरणा को दो भागों में बाँटा है -
1. शारीरिक या जैविक अभिप्रेरणा (Physical or Biogenic Motives):
शारीरिक अभिप्रेरणा वैसे अभिप्रेरणा को कहा जाता है जो व्यक्ति को जीवित रहने के लिए आवश्यक और यह जन्मे से ही बालक में मौजूद रहता है।
ये अभिप्रेरण/सार्विक (Universal) होते हैं, क्योंकि ये सभी व्यक्तियों में एक ही रूप में पाये जाते है। इनमें भूख, प्यास, नींद, दर्द-परिवर्जन इत्यादि प्रमुख हैं तथा यह सभी देश एवं काल के लोगों में एक ही रूप में पाये जाते हैं।
शारीरिक अभिप्रेरणा से बालों में समस्थिति (Homeostasis) अर्थात् शरीर के भीतर संतुलन बनाये रखने का गुण होता है। जैसे जब व्यक्ति को भूख लगती है, तो उसके भीतर एक तनाव उत्पन्न होता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति भोजन की खोज करता है और भोजन मिलने पर तनाव कम हो जाता है।
2. अर्जित या सीखा हुआ अभिप्रेरणा (Acquired or Learned Motives): अर्जित अभिप्रेरण ऐसे अभिप्रेरण को कहा जाता है, जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं -
ऐसे अभिप्रेरण जन्मजात नही होते अर्थात् ऐसे अभिप्रेरणा को व्यक्ति के बाद सीखता है।
ऐसे अभिप्रेरणा सार्विक (Universal) नहीं होते हैं अर्थात् ऐसे अभिप्रेरण सभी व्यक्तियों में नहीं होते तथा उनका रूप भी अक्सर भिन्न-भिन्न होता है से अभिप्रेरणा व्यक्तियों के जीवित (Survival) रहने के लिए आवश्यक नहीं होते हैं।
ऐसे अभिप्रेरणा का समस्थिति (Homeostasis) से भी कोई संबंध नहीं होता है ।
शिक्षा के दृष्टिकोण से अर्जित अभिप्रेरणा निम्नलिखित हैं -
1. उपलब्धि अभिप्रेरणा (Achievement Motivation) : उपलब्धि अभिप्रेरण से तात्पर्य एक ऐसे अभिप्रेरणे से होता है जिससे प्रेरित होकर बालक कार्य ढंग से करता है कि उसे अधिक-से-अधिक सफलता मिल सके।
रिले एवं लेविस (Reilly and Lewis) के अनुसार, किसी चीज को अपने करने, उसे अच्छे-से-अच्छे ढंग से करने तथा उसमें विशिष्टता दिखाने की स्वीकाराल अपने कार्य को इस इच्छा को उपलब्धि अभिप्रेरण कहा जाता है।
2. संबंधन अभिप्रेरणा (Affiliation motivation): अपने साथियों एवं अन्य लोगों के समूह में मान्यता प्राप्त करने की प्रवृति को संबंधन अभिप्रेरण कहा जाता है। यह अभिप्रेरण सभी उम्र के व्यक्तियों में होता है, परंतु प्रारंभिक किशोरावस्था में यानी 13-15 वर्ष की उम्र का अभिप्रेरण सबसे अधिक स्पष्ट एवं विशिष्ट होता है। इस अवस्था में किशोरों में अपने साथियों का समर्थन पाने तथा माता-पिता एवं शिक्षकों की प्रशंसा पाने की इच्छा तीव्रतम होती है।
3.चिंता ह्रास (Anxiety Reduction): चिंता ह्रास का अभिप्राय बालों में सीखे जाने वाले पाठ के प्रति तनाव तथा चिंता को बिल्कुल ही समाप्त करने से नहीं, बल्कि चिंता के स्तर को इस लायक बनाकर रखने से होता है जो उसे पाठ को सीखने में मदद कर सके।
शिक्षकों के लिए चिंता ह्रास का आशय है उन्हें वर्ग में छात्रों के चिंता स्तर को संतुलित बिंदु पर रखना चाहिए ताकि वे उनके शिक्षण से अधिकतम लाभ उठा सकें।
4.सत्ता अभिप्रेरणा (Power motivation): सत्ता अभिप्रेरणा मानव के बहुत से व्यवहारों का आधार होता है। उनके अनुसार व्यक्ति हीनता के भाव को नहीं बर्दाश्त कर सकता है, बल्कि उसके स्थान पर श्रेष्ठता का भाव विकसित कर लेता है।
इसी भावना के कारण वह उन सभी कार्यों को करने के लिए अभिप्रेरित हो उठता है, जिनसे उसमें नियंत्रण करने, प्रभुत्व दिखाने एवं सत्ता में रहने के भाव की उत्पत्ति होती है। बालक तीव्रता से उन क्रियाओं को करना सीख लेता है, जिनसे उनमें श्रेष्ठता, सत्ता एवं दूसरों को नियंत्रित करने का भाव उत्पन्न होता है। उन कार्यों से दूर रहना सीख लेता है, जिनसे उनमें हीनता या लाचारी का भाव उत्पन्न होता है)
5.आक्रमणशीलता का अभिप्रेरण (Motive of aggressiveness): आक्रमण शीलता भी एक प्रमुख अर्जित अभिप्रेरणा हैं, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को शाब्दिक रूप से या शारीरिक रूप से चोट पहुँचाने या आघात पहुँचाने की कोशिश करता है।
6.अनुमोदन अभिप्रेरण (Approval motivation): अनुमोदन अभिप्रेरणा से तात्पर्य व्यक्ति द्वारा धनात्मक मूल्यांकन यानी प्रतिष्ठा, प्रशंसा इत्यादि पाने की उम्मीद से होता है (6 वर्ष से कम उम्र के बालकों में माता-पिता का अनुमोदन पाने-की-तीव्र इच्छा होती है। जब बालक स्कूल में प्रवेश करते हैं तब वे शिक्षक, साथियों तथा अपने से अधिक उम्र के बालकों से अनुमोदन के लिए प्रयत्नशील रहते है।
मैसलो का अभिप्रेरणा सिद्धांत (Maslow's Law of Motivation)-
मैसलो के अभिप्रेरणा सिद्धांत को आवश्यकता का सिद्धांत कहा जाता है। मैसले ने आवश्यकता के सिद्धांत को 5 श्रृंखलाबद्ध क्रम में विभाजित किया है।
1. आधारभूत आवश्यकता (रोटी, कपड़ा और मकान)
2.सुरक्षा
3.सामाजिक आवश्यकता
4.सम्मान / आदर
5.स्वयं यर्थायीकरण
सीखने में अभिप्रेरणा का महत्व -
(Importance of Motivation in Learning) -
मेल्टन (Melton) के अनुसार, "अभिप्रेरण सीखने की एक आवश्यक शक्ति है।
एण्डरसन (Anderson) के अनुसार, "सीखने की प्रक्रिया अच्छी तरह तभी होगी जबकि अभिप्रेरणा होगा"।
शिक्षा मनोवैज्ञिानिकों ने अभिप्रेरणा को राजकीय मार्ग कहा है। अभिप्रेरण का प्रभाव सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। जो इस प्रकार है-
सीखने का उद्देश्य (Purpose to Learn)
पुरस्कार एवं दंड (Reward and Punishment)
प्रकृति तथा परिणाम का ज्ञान (Knowledge of Progress and Results)
प्रशंसा एवं निंदा (Praise and Reproof)
स्पर्धा, प्रतियोगिता तथा संयोगिता (Rivalry, Competition and Operation)
लक्ष्य निर्धारण व्यवहार या आकांक्षा स्तर
प्रोत्साहन के रूप में सामाजिक अनुमोदन
प्रोत्साहन के रूप में व्यावसायिक लक्ष्य
परीक्षा उपयोगी तथ्य
Important points for Exams-
अभिप्रेरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षार्थी की आंतरिक शक्ति वातावरण के विभिन्न लक्ष्य वस्तुओं की ओर निर्देशित होती है।
शारीरिक अभिप्रेरण जन्म से ही बालक में मौजूद रहते हैं जैसे नींद, भूख, प्यास, दई परिवर्तन इत्यादि ।
शारीरिक अभिप्रेरण से बालों में समस्थिति (Homeostasis) अर्थात् शरीर के अंदर संतुलन बनाये रखने का गुण होता है।
अर्जित अभिप्रेरण जन्म के बाद बालक सीखता है।
मैसले के अभिप्रेरणा के सिद्धांत को आवश्यकता का सिद्धांत भी कहा जाता है।
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